Know Bhagwad Geeta 3/42
इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः । मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः ॥ भावार्थ : इन्द्रियों को स्थूल शरीर से परे यानी श्रेष्ठ, बलवान और सूक्ष्म कहते हैं। इन इन्द्रियों से परे मन है, मन से भी परे बुद्धि है और जो बुद्धि से भी अत्यन्त परे है वह आत्मा है॥ श्रीमद्भगवद गीता ने मानव मात्र को शरीर ,इन्द्रिय ,मन ,बुद्धि और आत्मा का भेद बताया है। एवं बुद्धेः परं बुद्धवा संस्तभ्यात्मानमात्मना । जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् ॥ भावार्थ : इस प्रकार बुद्धि से परे अर्थात सूक्ष्म, बलवान और अत्यन्त श्रेष्ठ आत्मा को जानकर और बुद्धि द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल॥ श्रीमद्भगवद गीता ने मानव मात्र को अत्यन्त श्रेष्ठ आत्मा को जानने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए शरीर,मन,बुद्धि के क्रिया कलापों पर नजर रखनी होगी।