Know Bhagwad Geeta 3/21

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

इस श्लोक का अर्थ है: श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य (आम इंसान) भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह (श्रेष्ठ पुरुष) जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।

यदि इस श्लोक का मर्म जाना जाये तो भगवान राम एक तपस्वी  वन गमन करते हुए साधु संतों का सत्संग सुनते रहे।  आज कल के नेता  जेड सुरक्षा में रहते हुए भी हर वक्त डर  से  कांपते रहते है। संतों को जेल और  नामदारों को बेल मिलती रहती है। 

श्री राम राजा होने के बाद भी धोबी के आरोप पर अपनी पत्नी को ऋषि आश्रम छोड़ गए। उन्होंने लोक  तंत्र,जासूसी,तपस्या का प्रमाण दिया। आरोपियों और सामान्य प्रजा को सदा सदा के लिए मौन कर दिया।  षड्यंत्रकारियों  को अपराधबोध का शिकार बना दिया। साथ ही माँ सीता के सतीत्व का प्रसार व लव कुश का लालन पालन करके हनुमान ,लक्ष्मण अदि योद्धाओं से विजय प्राप्त करवाने  वाली वीरबाला बना दिया न की वह एक अबला नारी रही। राजा व प्रजा से उन्होंने कोई मांग नहीं रखी। उसे राजा राम की वीरता,योग्यता,पर पूर्ण विश्वास था. 

हमारे देश के उल्लू लोग अभी भी माँ सीता को अबला नारी समझे ,जबकि माँ सीता पूर्ण
निर्णय  लेने व् पिता जनक के महल में ऋषि परशुराम के भगवन शिव धनुष को उँगलियों से उठाने वाली कन्या रही जिसे बड़े बड़े राजा महाराजा हिला न सके थे।

 आज के नेता यानि राजा लोग अपनी पत्नी व बच्चों के लिए भी सुरक्षा व अंगरक्षक की मांग करते फिरते है। पत्नी व् बच्चों को सुरक्षित पद देते रहते है। राम जी का राम राज्य देखो और उनकी विश्वसनीयता का प्रमाण देखो।  

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