Know Bhagwad Geeta 3/11

देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः ।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ ॥

भावार्थ :  तुम लोग इस यज्ञ द्वारा देवताओं को उन्नत करो और वे देवता तुम लोगों को उन्नत करें। इस प्रकार निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे को उन्नत करते हुए तुम लोग परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे॥

दुनियां का एक मात्र ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता  यह घोषणा करता है कि मनुष्य  देवी देवताओं को उन्नत करे ।
मूर्ख  लोग कहते हैं कि देवी-देवता को मत मानों ,अरे ये तो जानो देवी -देवता यानि जल ,अग्नि,वायु, भूमि,(शिक्षा +ज्ञान ), नदियां,पर्वत को उन्नत (शुद्ध ,पवित्र)न रखने  से इस युग में प्रदूषण और विनाश होगा। मुर्ख अज्ञानी लोग नहीं जानते कि सभी देवी देवता शिव और शक्ति के अंशावतार होते हैं।  ग्रह ,तारामंडल,सूर्य ,चंद्र ,किरणे ,गैस सभी का प्रकृति में महत्व है। उपरोक्त प्राकृतिक शक्तियों को देवी-देवता करके विभिन्न नामों से  सनातन धर्म में  स्थान मिला है। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Hans chugega dana dunka koa moti khayega,Esa kalyug ayega.

देश को दी गई विदेशी शिक्षा का असर।

कुलिष्ट देवी- देवता परंपरा का क्षरण