Know bhagwad Geeta 3/19
तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर ।असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पुरुषः ॥
भावार्थ : इसलिए तू निरन्तर आसक्ति से रहित होकर सदा कर्तव्यकर्म को भलीभाँति करता रह क्योंकि आसक्ति से रहित होकर कर्म करता हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त हो जाता है॥
भगवान कृष्ण अपने सखा अपने जीजाश्री अर्जुन से कहते हैं कि तुम आसक्ति रहित होकर कर्तव्य कर्म को करें ,इससे परमात्म प्राप्ति भी हो जाती है।
हमारे देश में जो मनुष्य भगवान प्राप्ति के लिए साम्प्रदायिक आसक्ति के कारण अपनी जाती ,अपने कुल ,अपनी पूजा पद्धति को श्रेष्ठ बताने के लिए मार-काट ,झूठ कपट ,लिंग भेद ,अन्याय का सहारा लेते हैं ,परिवार ,क्षेत्र ,देश व समाज का कर्तव्य पूरा नहीं करते श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार उन्हें परमात्मा की प्राप्ति नहीं होगी।
श्रीमद्भगवद गीता उन डरपोक /स्वार्थी मनुष्यों को चेतावनी देती है किआसक्ति से कर्म करने से तथा कर्तव्य को छोड़ने से परमात्म प्राप्ति न होगी।
राजा का कर्तव्य होता है ,प्रजा का पालन पोषण ,न्याय करना , परन्तु इस देश के नेताओं ने श्रीमद्भगवद्गीता नहीं पढ़ी इसलिए वो वोटों के लिए अलग अलग कानून बनाते हैं। रोज झूठ बोलते हैं। स्त्री -पुरुष को अलग कानून,हिन्दू -मुस्लिम को अलग कानून बनाते हैं।
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