Know BhagwadGeeta 3/27
प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः ।
अहंकारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते ॥
भावार्थ : वास्तव में सम्पूर्ण कर्म सब प्रकार से प्रकृति के गुणों द्वारा किए जाते हैं, तो भी जिसका अन्तःकरण अहंकार से मोहित हो रहा है, ऐसा अज्ञानी 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा मानता है॥
श्रीमद्भगवद्गीता एक मात्र ऐसा ग्रन्थ है जो स्पष्ट करता है कि सभी कर्म प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते है और अज्ञानी अहंकारी 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा मानता है। अतः सावधान होकर कर्म करो। मोहित अहंकारी होकर कर्म न करें।
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