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मानव के ६ /कर्म -कृत्य

मानव के ६ /कर्म -कृत्य  देव/ऋषि ,ब्राह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्य ,शूद्र ,राक्षस /असुर सभी मानव में उपरोक्त  ४/५ कर्म कृत्य करते ही करते है तो जन्म से जाती का क्या प्रयोजन  उदहारण के लिए श्री कृष्ण ; श्री कृष्ण जी के मामा कंस असुर विचार युक्त। ग्वाला कृष्ण  वैश्य  कृत्य युक्त। गीता ज्ञान देने वाला कृष्ण ;देव / ऋषि कार्य। सुदर्शन अस्त्र से शिशुपाल जैसे का वध  क्षत्रिय कार्य। अर्जुन से भीष्म , भीम से दुर्योधन का संहार करवाना ब्राह्मण कृत्य। शांति दूत बन कर हस्तिनापुर जाना  सेवक कार्य। राजसूय यज्ञ में सेवा , पत्तल ,पांव धुलवाना सेवक कार्य। द्रोपदी की रक्षा करना दैविक क्षमता। 
मानव के ६ /कर्म -कृत्य   ऐसा एक साधारण मानव पूर्व जन्म कृत कर्मों के फलस्वरूप ,रीतिरिवाज जिसमे जन्मा है,जैसी शिक्षा दीक्षा हुई ,देश,वेष ,काल ,परवरिश के अनुसार करता है।  १) देव /ऋषि : यदि वह पवित्र,सत्य ,जप ,तप ,ईश्वर का ध्यान ,सेवा ,आश्रितों की सुरक्षा व् सतोगुण से भरपूर दिव्यता सहित क्षमतावान हो । समाज को सदैव अध्यात्म तथा सत्य का साथ देने का ज्ञान दे.  ध्यान रहे देव /ऋषि क्षमतावान होता है और उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती। असुरता से सुरक्षित रहते हैं। यह सिद्ध होकर जन्म  लेते हैं। आशीर्वाद और दंड देने में सक्षम होते हैं।  २)विप्र /ब्राह्मण   ;देव /ऋषि  वेद, पुराण  के अनुसार धर्म ,अर्थ , काम , मोक्ष ज्ञान तथा  सत्ता  निर्धारित  शिक्षा जिसमे समाज ,न्याय , ज्ञान ,विज्ञान,शस्त्र अदि का ज्ञान अर्जित करना और उसका प्रसार करना। समाज और राजा इन्हें  मनमुखि शिक्षा देने का दबाव डाल सकते हैं।  धन और सम्मान के लिए ये असुरता अपना सकता है।  ३) क्षत्रिय : जब कोई व्यक्ति न्याय सहि...

कोरोना काल में कोई गरीब ,छात्र ,मजदूर , मजबूर भूख प्यास से क्यों बिलखा है ,क्यों रो रहा है ,क्यों घर को पैदल या छुप.

हिन्दू धर्म के गुरु नानक देव जी ने सत्संग  के उपरांत भंडारा करने की प्रथा चलाई जिसे गुरु अंगद देव ने स्थाई लंगर प्रथा से जोड़ दिया।  इस कोरोना काल में सभी गुरूद्वारे , सनातनी आश्रम  भंडारे , लंगर निरंतर चला रहे हैं। देश की जनता किसी न किसी जाती ,सम्प्रदाय से जुड़ी है उनके  के पास असंख्य अन्य धार्मिक स्थान भी है तो कोरोना काल में कोई गरीब ,छात्र ,मजदूर , मजबूर भूख प्यास से क्यों बिलखा है ,क्यों रो रहा है ,क्यों घर को पैदल या छुप कर जा रहा है।   आज इस अलगाव वाद ,विरोधवाद को अस्वीकार करना होगा। सहयोग ,प्रेम ,दया और दानवीरों को मुक्त कंठ से नमस्कार करना होगा।

सनातनी साधु संत को जानो

सनातनी साधु संत को जानो भारत के साधु संत प्रसिद्व  अखाड़ों  से सम्बन्ध रखते हैं तथा   उनके सनातनी ब्रह्म ज्ञानी गुरु से  पद्धती होती है. जैसे  पूरी,गिरी,नागा,नाथ ,परम हंस,सरस्वती,ब्रह्मचारी,उदासी ,आदि अदि। एक साधारण मानव भी उन्हें पहचान सकता है यदि वह  सनातन विरोधी  व पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो.  अपने आश्रम के नियम ,क्रिया करनी होती है। सभी  अखाड़ों के शिष्यों को  प्रशिक्षण काल में आश्रमों में ,गुरु कुटिया में  नियम ,क्रिया करनी होती है। अनेक शिष्यों को उनकी दक्षता व दिव्यता के आधार पर जिम्मेदारी दी जाती है ,कुछ शिष्यों को स्वतंत्र आश्रम की आज्ञा मिलती है ,कुछ शिष्यों को एकान्त वन ,पहाड़ ,नदी तट ,तीर्थ स्थान की आज्ञा मिलती है। अधिकतर साधु इस कलयुग में  गृहस्थ समाज में जाना व् घूमना नहीं चाहते परन्तु गुरुदेव  की कठोर आज्ञा के कारण  शिष्यों को  प्रशिक्षण काल में समाज में जाकर भिक्षा मांग कर भजन ,जप ,ध्यान करना होता है अनेक बार अपमान भी सहना होता  है। आज...

भारत की गुलाम मानसिकता विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों ने मूल भारतीयों को सिखाया :

भारत की गुलाम मानसिकता  विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों ने मूल भारतीयों को सिखाया :  जातिगत कट्टरता  जिससे भारतीयों को  सनातन धर्म से दूर करके ,  मुग़लों ,अंग्रेजों  द्वारा शोषण का धंदा चल निकले। जबकि देश में संस्कृति   थी कि  तप,जप ध्यान ,एकांत ,दान ,गुरु ज्ञान विज्ञानं और सेवा से दिव्य शक्ति प्राप्त की जाती है  , झूठ लूट अन्याय से वंश सहित नाश के किस्से हैं।  विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों ने मूल भारतीयों को  पढ़ाया कि  आर्य विदेश  से आये  और संस्कृति बकवास है। विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों के सरकारी  दलालों ने इसका खूब प्रचार किया जो की आज  तक पुराने कानून , गुलामी के महलों ,प्रतीकों  के रूप में विद्यमान है। हम अपने दिव्य शक्ति प्राप्त करने के सभी  रास्ते भूलकर संयम ,योग, तप, जप ,ध्यान ,त्याग के पुरोधा संतों को बदनाम ,उत्पीड़न करके उनका ही उद्देश्य पूरा कर रहे हैं। आक्रांताओं ने हमारी सभी पुरानी पद्द्ति ,पुस्तकों में घुसपैठ की और दिव्य ध्यान की कमी से...