भारत की गुलाम मानसिकता विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों ने मूल भारतीयों को सिखाया :

भारत की गुलाम मानसिकता 

विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों ने मूल भारतीयों को सिखाया :


 जातिगत कट्टरता  जिससे भारतीयों को  सनातन धर्म से दूर करके ,
 मुग़लों ,अंग्रेजों  द्वारा शोषण का धंदा चल निकले। जबकि देश में संस्कृति   थी कि  तप,जप ध्यान ,एकांत ,दान ,गुरु ज्ञान विज्ञानं और सेवा से दिव्य शक्ति प्राप्त की जाती है  , झूठ लूट अन्याय से वंश सहित नाश के किस्से हैं। 

विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों ने मूल भारतीयों को  पढ़ाया कि  आर्य विदेश  से आये  और संस्कृति बकवास है। विदेशी मुग़लों ,अंग्रेजों के सरकारी  दलालों ने इसका खूब प्रचार किया जो की आज  तक पुराने कानून , गुलामी के महलों ,प्रतीकों  के रूप में विद्यमान है। हम अपने दिव्य शक्ति प्राप्त करने के सभी  रास्ते भूलकर संयम ,योग, तप, जप ,ध्यान ,त्याग के पुरोधा संतों को बदनाम ,उत्पीड़न करके उनका ही उद्देश्य पूरा कर रहे हैं। आक्रांताओं ने हमारी सभी पुरानी पद्द्ति ,पुस्तकों में घुसपैठ की और दिव्य ध्यान की कमी से  आज  तक सच  झूठ का भेद न कर सके। 

उदहारण 
 १)  : धर्म ,अर्थ ,काम , मोक्ष  का ज्ञान समाप्त।  बस  कमाओ और खाओ ,चाहे अन्याय ,लूट,कुटिलता से हो। 
२) वेद , पुराण  की  गलत व्याख्या।  इतिहासकार  ,राज प्रशंसक चाटुकार नियुक्त करना और जनता में  रीती रिवाज के भेद से अलग अलग जाती समुदाय की व्याख्या  करना। 
३) हिन्दू समाज के अपने गुरु नानक देव आदि हुए जिनके शिष्य ( सिख ) अपने हिन्दू समाज को मुग़लों के शोषण से रक्षा के लिए जप ,ज्ञान,ध्यान , से  वीर बनाने में लगे रहे नशे से बचाते रहे। हिन्दू समाज के  गुरु अर्जुन देव, गुरु तेग बहादुर ,गुरु गोविन्द सिंह  जैसे  कुर्बान होते रहे लेकिन विदेशी आक्रांता हिन्दू शिष्यों (सिखों) को अलग कौम बताते रहने में कामयाब हो गए।  जिसका परिणाम वही सिख  और हिन्दू  गुरु शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।  गुरुशिक्षा को मानने , जानने , अपनाने वालों की संख्या काम हो रही है। विभेदकारी शक्तियां  हिन्दू और गुरु शिष्यों लड़वाने का जुगाड़  करती रहती है। 

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