कोरोना काल में कोई गरीब ,छात्र ,मजदूर , मजबूर भूख प्यास से क्यों बिलखा है ,क्यों रो रहा है ,क्यों घर को पैदल या छुप.
हिन्दू धर्म के गुरु नानक देव जी ने सत्संग के उपरांत भंडारा करने की प्रथा चलाई जिसे गुरु अंगद देव ने स्थाई लंगर प्रथा से जोड़ दिया। इस कोरोना काल में सभी गुरूद्वारे , सनातनी आश्रम भंडारे , लंगर निरंतर चला रहे हैं।
देश की जनता किसी न किसी जाती ,सम्प्रदाय से जुड़ी है उनके के पास असंख्य अन्य धार्मिक स्थान भी है तो कोरोना काल में कोई गरीब ,छात्र ,मजदूर , मजबूर भूख प्यास से क्यों बिलखा है ,क्यों रो रहा है ,क्यों घर को पैदल या छुप कर जा रहा है। आज इस अलगाव वाद ,विरोधवाद को अस्वीकार करना होगा। सहयोग ,प्रेम ,दया और दानवीरों को मुक्त कंठ से नमस्कार करना होगा।
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