विदेशी आक्रमणकारियों ने भारतीयों में कैसे फूट डाली और राज किया।


  भारतीय जाती प्रथा --ब्राह्मण ,क्षत्रिय , वैश्य ,शूद्र जो कि पूर्णतया कर्म , रोजगार ,क्षेत्र पर आधारित थी उसमे विदेशी आक्रमणकारि   खुद एक प्रतिभागी बने और पूरे समाज में विद्वेष फैलाया। विदेशी कार्यों के  पसंद वालों ने सरकारी पैसों / जागीर और इनाम के लालच में जातिगत खूब कहानियां बनाई ---चार जातियों को हजारों जातियों में बाँट दिया।  एक ही जाती ,परिवार के लोग आपसी दुश्मन बना दिए।विदेशियों के पैसे से  पुस्तकें छाप दी , वेद पुराणों को न मानने वाले पंथ ,सम्प्रदाय ,डेरे , गुरु ,संत  बना दिए और प्रचार किया।  परिणाम हुआ कि मुफ्त के पैसे , जागीर , इनाम और पद  के चक्कर में खूब फूट  डाली और धर्म परिवर्तन करवाया। जो वीर ,ईमानदार सनातनी थे वो चुन चुन कर  फांसी ,   मरवा  दिए।

कृत्य :  धर्म की रक्षा के लिए गुरुनानक देव ने शिष्य बनाये ,इन्हें ही गुर सिख कहा गया। आगे गुरुओं की शिक्षा से वीर पैदा हो रहे थे।  गौ , हिन्दू परम्परा की बढ़ोत्तरी से डर  कर  मुग़लों  ने गुरुओं व सिखों की बहुत हत्याएं करवाई। आज वह जुल्म ,हत्याएं ,गुरुओं की वीरता ,उनके सन्देश, पुस्तकों का इतिहास नहीं है ,भारतीयों को नहीं पढ़ाते हाँ मुग़ल और अंग्रेज आक्रमणकारी  उनके समारक ,स्थल ,मकबरे, कब्रें ,इमारतें खूब प्रचारित  करते हैं। पुस्तकों का इतिहास अंग्रेजों ने खूब लिखा  जिसमे फूट के बीज का पोषण किया  समाज को अनपढ़ बनाया शिक्षा वो दी जिससे भारतीय अपने को दुसरे दर्ज़े का नागरिक समझें।
परिणाम
आज भी भारतीय मुगलों और अंग्रेजों के स्मारक ,स्थल ,कानून,उनके द्वारा युद्ध के किस्से , मुग़ल महान,शहर ,नगर के नाम ,हजारों जातियों के झूठे रिवाज व् रिकार्ड के साथ जीने में अपना गर्व मानते हैं।मुग़लों  और अंग्रेजों  का ८०० साल की गुलामी की निशानी का संग्रह है , ५००० सालों की प्रगति और इतिहास भुला रहे हैं।
देश के नए भारतीय ---काले मुग़ल और अंग्रेज बन कर अपने काम पर हैं। 

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