पुराण प्रसंग ,सभी करें प्रयोग
हिन्दुओं को वीर, योग्य , बहादुर ,सत्यवादी,दक्ष बनने लिए प्रतिदिन पुराणों का अध्ययन करना चाहिए फिर प्रयोग भी करना चाहिए। पुराण में एक प्रसंग आता है कि एक रात पाण्डवों और श्री कृष्ण जी को एक दुष्ट राक्षस के क्षेत्र में विश्राम करना पड़ा। वह राक्षस सोते और भयभीत व्यक्ति का धोखे से भक्षण करता था। इस क्षेत्र में अर्जुन ,भीम और कृष्ण ने २-२ घंटे रात्री सुरक्षा चौकीदारी का जिम्मा लिया । पहले राक्षस खुश हुआ परन्तु अर्जुन को सुरक्षा चौकीदार देख कर वह युद्ध करने लगा ,अर्जुन उसके छल ,और पराक्रम को देख कर भय खाने लगा जिससे वह राक्षस ज्यादा आक्रामक और विशाल हो गया और अर्जुन को उसने पटक पटक के मारा परन्तु जब अर्जुन के २ घंटे पूरे होने लगे तो वह उबासी लेने लगा तो राक्षस ने भी उसे सोने को कहा और राहत महसूस की। अर्जुन सोचने लगा कि अब भीम इसे जरूर मरेगा।
अर्जुन ने भीम को जगाया और राक्षस की आक्रामकता की सूचना दी तथा खुद सो गया। भीम को भी राक्षस ने छल से खूब मारा परन्तु भीम के भी २ घंटे पूरे होने लगे तो उसे भी नींद सताने लगी और श्री कृष्ण जी की वीरता को याद करके सोचने लगा कि वही राक्षस को मारेंगे। उसने श्री कृष्ण को जगाया और खुद सो गया। सुबह हुई तो अर्जुन और भीम ने श्री कृष्ण जी को सोते देखा तो हैरान हो गए उन्हें जगा कर राक्षस युद्ध के बारे में पूछा और अपने हाल को बयां किया। श्री कृष्ण ने उन्हें उस दुष्ट राक्षस को पेड़ के नीचे हाथ जोड़ खड़ा हुआ दिखाया और बार बार प्राण रक्षा की भीख मांगता दिखाया। पांडवों ने इस चमत्कार के बारे में पूछा तो श्री कृष्ण ने बताया की यह राक्षस विरोधी पक्ष के मन की वृत्ति से विशाल और आक्रामक होते है। यदि आप इनके प्रहार की तीव्रता से भयक्रांत , डरपोक होंगे तो राक्षस ज्यादा शक्तिशाली हो जाते है। मैने इसके छल और अस्त्र शस्त्र को तुच्छ ,घटिया माना, इसे ही डरपोक जाना तो मेरा प्रहार भारी पड़ा और दुष्ट राक्षस पेड़ के नीचे हाथ जोड़ खड़ा और बार बार प्राण रक्षा की भीख मांग रहा है।
यही किस्सा जम्मू काश्मीर का रहा है , आतंकवादी राक्षस हैं जो निहत्थे ,शांतिप्रिय कश्मीरी पंडितों ,शंतिप्रिय जनता की हत्या करते गए। स्थानीय डरपोक जनता उनके जुल्म सहती रही और सोने का ढोंग करती रही। कश्मीरी विस्थापित पंडित दूसरे क्षेत्रों में बसते रहे कुछ लोग व्यापार और सरकारी पदों का सुख भोगते रहे यानि वो भी सोने का ढोंग करते गए। विस्थापित काश्मीरी सोचते रहे कि सरकार , संघ उनकी लड़ाई लड़े और वह ख़ुद आराम से सुरक्षित जगह या कैम्प में जीवन गुजारे। भारतीय सुरक्षा बल लोगों की सुरक्षा चौकीदारी करते रहे और खुद गोली ,बम , पत्थर बाजी का शिकार होते रहे।
संघ ,संत ,हिन्दू समितियां आंदोलन करती रही । अब कहीं जाकर 2019 में श्री कृष्ण का इतिहास पढ़ने वाली सरकार केंद्र में आई है जिसने आतंकवादियों और भ्र्ष्टाचारियों को तुच्छ और घटिया माना ,370,35A को ख़तम किया परन्तु अभी तक स्थनीय जनता , कश्मीरी पंडित उन दुष्ट राक्षसों ( आतंकवादियों) के विरुद्ध आक्रामक , मुखर हुए क्या ? विस्थापित लोग कश्मीर बसने की हिम्मत जुटा सके क्या ?संघ की शाखा में योग ज्ञान सीखा क्या? यदि स्थानीय जनता मुखर हो जाए तो आतंकवाद जड़ से ख़तम जायेगा।
ठीक ही कहा है कि सोते व्यक्ति को जगाया जा सकता है परन्तु सोने का ढोंग करने वाले को नहीं। पुराणों के प्रसंगों को पढ़कर उचित प्रयोग करना सीखें और सिखाएं तो भारत विश्वगुरू बन जायेगा।
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