प्रायोगिक विज्ञान
देश में विज्ञान के प्रयोग का प्राचीन इतिहास रहा है। गुलाम और आजाद भारत में गुरुगोरखनाथ ,योगानंद ,चरक ,भरद्वाज ,पतंजलि ,भास्कर, आर्यभट्ट, हरगोविंद खुराना,विक्रम साराभाई , भलखू ,रमन ,होमिजहाँगीर भाभा , एपीजे अबुलकलाम अदि अदि को शिक्षा क्षेत्र में नगण्य स्थान दिया गया। यही कारण है कि देश की जनता को अपूर्ण शिक्षित नेता, प्रशासक, न्यायविदों के फैसले को अपनाने से अन्याय ,भ्रष्टाचार ,आतंकवादी , अवैध कब्जाधारी ,नशेड़ी ,वन कटुओं ,नदी प्रदूषकों , नकलची शिक्षार्थियों का प्रकोप , क्रोध, गुस्सा ,झूठी ख़बरें ,धर्म परिवर्तन , जनसँख्या विस्फोट, रोग विस्फोट, गरीबी विस्फोट को सहने को मजबूर होना पड़ रहा है ।