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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रायोगिक विज्ञान

देश में विज्ञान के  प्रयोग का प्राचीन इतिहास रहा है। गुलाम और आजाद भारत में  गुरुगोरखनाथ ,योगानंद ,चरक ,भरद्वाज ,पतंजलि ,भास्कर, आर्यभट्ट, हरगोविंद खुराना,विक्रम साराभाई , भलखू ,रमन ,होमिजहाँगीर भाभा , एपीजे अबुलकलाम  अदि अदि को शिक्षा क्षेत्र में नगण्य स्थान दिया गया। यही कारण है कि देश की जनता को अपूर्ण शिक्षित नेता, प्रशासक, न्यायविदों के फैसले को अपनाने से अन्याय ,भ्रष्टाचार ,आतंकवादी , अवैध कब्जाधारी ,नशेड़ी ,वन कटुओं ,नदी प्रदूषकों , नकलची शिक्षार्थियों  का प्रकोप , क्रोध, गुस्सा ,झूठी ख़बरें ,धर्म  परिवर्तन , जनसँख्या विस्फोट, रोग विस्फोट, गरीबी  विस्फोट को सहने को मजबूर होना पड़  रहा है ।  

विदेशी आक्रमणकारियों ने भारतीयों में कैसे फूट डाली और राज किया।

  भारतीय जाती प्रथा --ब्राह्मण ,क्षत्रिय , वैश्य ,शूद्र जो कि पूर्णतया कर्म , रोजगार ,क्षेत्र पर आधारित थी उसमे विदेशी आक्रमणकारि   खुद एक प्रतिभागी बने और पूरे समाज में विद्वेष फैलाया। विदेशी कार्यों के  पसंद वालों ने सरकारी पैसों / जागीर और इनाम के लालच में जातिगत खूब कहानियां बनाई ---चार जातियों को हजारों जातियों में बाँट दिया।  एक ही जाती ,परिवार के लोग आपसी दुश्मन बना दिए।विदेशियों के पैसे से  पुस्तकें छाप दी , वेद पुराणों को न मानने वाले पंथ ,सम्प्रदाय ,डेरे , गुरु ,संत  बना दिए और प्रचार किया।  परिणाम हुआ कि मुफ्त के पैसे , जागीर , इनाम और पद  के चक्कर में खूब फूट  डाली और धर्म परिवर्तन करवाया। जो वीर ,ईमानदार सनातनी थे वो चुन चुन कर  फांसी ,   मरवा  दिए। कृत्य :  धर्म की रक्षा के लिए गुरुनानक देव ने शिष्य बनाये ,इन्हें ही गुर सिख कहा गया। आगे गुरुओं की शिक्षा से वीर पैदा हो रहे थे।  गौ , हिन्दू परम्परा की बढ़ोत्तरी से डर  कर  मुग़लों  ने गुरुओं व सिखों की बहुत ह...

दैवी या आसुरी कृत्य भारत की एक खोज

भारवासियों ने देखा कि २०१४ -२०१८ ,-२०१८ -२०२०  में देशवासियों को आधार कार्ड , जनधन अकाउंट , किसान सम्मान योजना अकाउंट , वृद्धावस्था  पेंशन योजना अकाउंट , किसान सम्मान योजना अकाउंट , मुफ्त एलपीजी सिलिंडर योजना , शौचालय योजना   अदि के लिए  सरकार ने खूब प्रचार किया ,बैंक अधिकारियों को घर -गांव शहर भेजा ,  डाकघरों को बैंक बना दिया , स्कूल- कॉलेज ,यूनिवर्सिटीज में प्रचार , ऑनलाइन पेमेंट के लिए भीम , पेटम ,फ़ोन पे , बैंकों की  एप बनवाई।  दैवी -आसुरी कृत्य वाले अपने एजेंडे में सक्रिय  हो गए।  दैवी विचार वालों ने उपरोक्त योजनाओं की खूब अच्छी बातें बताई ,प्रचार किया ,लोगों की सहायता की , बैंकों में खाते खुलवाए ,योजनाओं का फॉर्म भरा ,अकाउंट खुलवाया , शिक्षित किया और उपलब्ध रहे।  उसका परिणाम हुआ की करोड़ों लोग बैंकों , डाकघरों से जुड़े।  उनको नोट- बंदी , योजनाओं-ऋण अदि में  तथा  लोक-डाऊन  करोना काल में पेंशन ,जनधन ,गरीब योजना , मुफ्त राशन के लिए  केंद्र / राज्य सरकारों से   स...

युवाओं को फ़ौज में भर्ती ऐसे करें।

 युवाओं को  फ़ौज में  भर्ती ऐसे करें।  हमारे देश के  पाकिस्तान , चीन  के साथ सीमावर्ती राज्यों ,नक्सली क्षेत्र के राज्यों, उपद्रवी संगठनों से जूझ रहे राज्यों से फ़ौज में अधिक भर्ती की जाए। इन्हीं  प्रशिक्षित फौजियों को राज्य सुरक्षा बलों की भर्ती में आरक्षण दिया जाये।                                                                                    

मन्दिरों की संपत्ति

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री चव्हाण जी सरकार को राय दी है कि मंदिरों का सोना अधिग्रहण करने के बाद इससे संकट काल में कमाई करे।  मंदिरों के महंतों को मै आगाह करता हूँ कि ये राजनैतिक दल सबसे अधिक दानकर्ता हिन्दुओं के मंदिरों की संपत्ति पर गिद्ध दृष्टि इसलिए है कि क्योंकि आप लोग तयाग की प्रतिमूर्ति संतों और साधुओं और सनातनी आश्रमों को अलग समझते हैं। इष्ट  मंदिरों के कल्याणों की कोई जिम्मेवारी नहीं डालते। तयाग की प्रतिमूर्ति  सन्यासी, अखाड़ों के ब्रह्मचारियों ,योगियों को शामिल नहीं करते ।  एरा -गेरा  दबाव ग्रुप  ,नेताओं ,प्रशासकों  ,भाई भतीजों का ट्रस्ट में बोल-बाला होता है।  ये ट्रस्टी सरकार के अन्याय के विरुद्ध  जुबान खोलने का साहस नहीं करते। इसलिए मंदिर की  संपत्ति ,सोना सरकार द्वारा कमाई का साधन बनाने को कहते हैं। १)अतः मंदिर की आय से सस्ती धार्मिक किताबें छपवानी चाहिए जो गीता प्रैस गोरखपुर कर रहा है। २) अपने कल्याणों ( वो परिवार जिन्होंने जमीन दान दी वो परिवार ,मंदिर बनाने में  तन /वस्तु /ध...

सनातन सीख

आज के युग में माता -पिता ,भाई -बहिन ,बंधू बांधव से अधिक प्रचार प्रसार , सूचनाओं तथा भौतिकतावादी सोच का बोल बाला है ,उसमें हमारे रिश्ते कमजोर हो रहे हैं। मुझे बचपन याद आ रहा जब मेरे माता-पिता , बुब्बा  जी बुआजी , नांना -नन्नी जी कड़क रिश्तों के सम्मान सूचक निर्देश देते थे वह आज भी प्रासंगिक है । अतः  अपने से बड़ों से जब भी बात करें तो रिश्तों के सम्मान सूचक शब्द का प्रयोग अवश्य करें। जैसे  माताजी ,पिता जी ,बड़े भाई जी ,मंझले भाई जी ,छोटे भाई जी ,पापाजी , मम्मी जी ,दादा जी ,दादी जी,बुब्बाजी ,जीजाजी ,दीदीजी ,मास्सी  जी  आदि आदि । गांव में दूसरी जाती के लोग भी निवास करते है ,बुजुर्गों ने उनके साथ भी रिश्ते बनाये होते हैं ,उनके अनुसार ही भावी पीढ़ी को अनुसरण करना होता है। कई बार धर्म भाई -बहिन अलग जाती से बनाने का यही तात्पर्य होता है। उच्च पद , अधिक पढ़े लिखे ,बड़े जमींदार होने पर भी कभी अपने से बड़ों का तथा बड़े रिश्तों  के सदस्यों के साथ मजाक ,अपमान वाली बहस की कभी इजाजत  नहीं हो सकती। धन्यवाद  

जनसँख्या दबाव / अविवाहितों को सम्मान

भारत में जनसँख्या दबाव के कारण ,संपत्ति विभाजन  बंटवारे में बहुत कमी हो जाती है।  जनसँख्या दबाव पंचायत से लेकर संसद तक वोट बैंक का काम करता है। एक से अधिक शादी और  अधिक   बच्चे पैदा करना देशहित  में नहीं है। वोट के लिए ,सरकारी सुविधा के लिए ,गरीबी उन्मूलन के लिए अनुदान का फायदा अधिक जनसँख्या फैलाने वालों को ही मिलता है।  सरकारों को चाहिए कि अविवाहित नागरिकों तथा  बिना बच्चों के दम्पत्तियों को एक उम्र के उपरांत  मासिक सम्मान राशि स्वीकृत की जानी चाहिए। साथ ही दो से अधिक शादी तथा बच्चों पैदा करने वालों को सरकारी नौकरी , अनुदान बंद करने का कड़क फैसला लेना चाहिए।  पत्नी तथा बच्चों को पिता ,पति की पैतृक संपत्ति का जन्म या शादी के १ वर्ष के भीतर वारिस बनाया जाये जिससे उनके हिस्से की पैतृक संपत्ति को बेचा न जा सके।                                                              ...

देश का उद्धार ऐसे करें जी

देश में अनेक जगह अवैध निर्माण और कब्जों का समाचार मिलता रहता है प्रशासन ,कोर्ट संज्ञान नहीं लेता बाद में वोट की राजनीती उसे नियमित करने के जुगाड़ में लग जाती है।  माननीय जी इससे अवैध कब्ज़ा धरियों को फायदा होता है और मूल निवासियों का हक़ ख़तम हो जाता है।  भ्रष्टाचार का ही बोल-बाला हो जाता है। सरकारी जमीन भी स्थानीय जनता की ही होती है ,परन्तु प्रशासन अवैध कब्ज़ा करवाकर जनता के हितों का खुलम-खुल्ला मज़ाक उडाता है , कोर्ट में यदि केस जाये तो भी प्रशासन ही जवाब देता है ,उसको पता है क्या जवाब बनाना है।  अतः निवेदन है कि  जिला स्तरीय चल (VISITING) न्यायाधीश का चयन किया जाये जो देश की अनमोल  जल , जंगल , जमीन ,सरकारी संपत्ति का हर समय  सुरक्षा के राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को आदेश देता रहे। वास्तु स्थिति से प्रशासन उचित कार्यवाही करे। 

प्रधान मंत्री /प्रधान चौकीदार से अपील

देश में न्याय पालिका को बहुत तेजस्वी/योग्य /सम्मानीय बनाइये। इसके लिए भी विचार करें १)  Civil Services (IAS, IFS,IPS etc) ,NEET, JEE , NDA, CDS, में  देश व्यापी टेस्ट होता है।  देश के सबसे योग्य विद्यार्थी ही इसमें प्रवेश पाते है तथा चयन होता है। ऐसा टेस्ट  judiciary  के लिए All India स्तर का  करवाने की हिम्मत दिखाइए। २) देश का न्याय ,वकीलों की बहस और न्यायाधीश पर टिका है। वकील  अपना दाना -पानी चलाने के लिए अपने सभी  प्रभाव का प्रयोग करते हैं।  देश के इच्छुक नागरिकों  के लिए educational ability के अनुसार LLB  पढ़ाई करने दी जाए।  देश के अनेक नागरिक उच्च पदों पर सम्मानीय  सेवा कर रहे या सेवा कर चुके होते हैं परन्तु वह चाह  कर भी  कानून के जानकार  नहीं बन पाते। इस कारण पुराने वकीलों का ही दबदबा बना रहता है। पेंशन प्राप्त नए LLB वकील निःशुल्क केस भी लड़ सकेंगे  इससे न्यायव्यवस्था में आशातीत सुधार होगा। 

चीर हरण

चीर हरण  दुनियां के लोग अपना भला ,सम्मान , उच्च पद , विकास ,शांति चाहते हैं परन्तु यदि कोई सत्य का चीरहरण करता है तो देख कर चुप रहते हैं ,या सहायक बन जाते हैँ। परिणाम में दुःख,क्षोभ, विनाश, ही मिलेगा। सहायक और देख कर चुप रहने वालों को दण्ड मिलेगा। इसलिए संभल जाओ।  भारत में दुष्ट, आतंकवादी  लोग संतों ,साधुओं पर हमला कर रहे हैं ,करोना वारियर्स पर हमला कर रहे हैं ,सरकारी आदेशों के विरुद्ध अफवाह फैला रहे हैं।  जनता सबसे शक्तिशाली होती है परन्तु वह अफवाहों से सावधान नहीं रहती। दुष्टों आतंकवादियों के  परिवार, रिश्तेदार ,पड़ोसी उनको दंड देने या पकड़वाने की जगह महा डरपोक होकर हमले में शामिल हो जाते हैं।  कोर्ट कभी संज्ञान लेने की हिम्मत नहीं दिखाता। परिणाम क्या निकलता है ,उसे तो कभी लिपिवद्ध करो वह इतिहास बनेगा।