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प्रश्नोत्तर-3

प्रश्न 3     साधू / सन्यासी कोन बनता है ? क्यों बनता है ? उत्तर :  मेरा अनुभव है कि साधू सन्यासी बनने के लिए ईश्वर की सत्ता का विभिन्न रूपों /स्थानों में जिसने स्वयं अनुभव किया हो वही यह रिस्क लेता  है । एक उदाहरण है मेरे अपने तायाजी श्री सीता राम भारद्वाज जी का ,वह 1962 के युद्ध में सैनिक ,असलहा ,गोला बारूद ले जाने वाले निजी ट्रकों के काफिले के अध्यक्ष थे । उस युद्ध को उन्होंने , स्वयं अनुभव किया और  सन्यासियों की तपस्या शक्ति से   कठिन रास्तों को सरल होते देखा । बाद में वह जटोली ( सोलन) वाले महात्मा , करोल  वाले नागा बाबा के संपर्क में आए ।उसके बाद तलहर वाले बाबा जो कि उस वक्त उनको 1857 के संघर्ष ,और उसके बाद के जौनाजी क्षेत्र के 5 पुश्त पहले के बुजुर्गों से संबंध की बातें की,उनकी करी प्रणाली बताई । तलहर के महात्मा जी  आगंतुकों को गेट से बाहर से ही भगा देते थे ,परंतु ताया जी को उन्होने 

कुलिष्ट देवी- देवता परंपरा का क्षरण

प्रश्नोत्तर -2  बुजुर्गों से सुना है कि हमारे  कुलिष्ट  देवी -देवता बहुत शक्तिशाली होते है । वह आशीर्वाद और दंड देने मे सक्षम होते । कुलदेवता परिवार में शादी विवाह , संतान, भू तक़सीमी , चुनाव में जीत ,रोगनाश ,वर्षा-बर्फ, युद्ध विजय   का आशीर्वाद और दुष्ट का कुल खानदान समाप्त करने का तुरंत निर्णय करते रहे । उत्तर -2 सही 100%, परंतु इस नए अशिष्ट समय में माँ -बाप अपनी संतानों को झूठ , आलसी ,अश्लीलता  , नशा ग्रस्त देख कर देव-देवी  के पारिवारिक रिवाज नीयम से अवगत नहीं करवाते ।आधुनिक पढ़े लिखे ,नोकरी पेशा  युवक- बच्चे देवी देवता के गूर ,देवा ,बाजकी,पुजारी, पुरोहित ,भण्डारी,पलघेरी, जो कि अलग अलग जातियों के होते हें , की आज्ञा पालन व सम्मान नहीं करते  साथ ही देवी -देवताओं की भूमि को  सरकार ने  मुजारों को बाँट दिया या खुद कब्जा कर लिया ।  इससे पुजारी ,देवा ,गूर ,पलघेरी ,भण्डारी ,पुरोहित , सहायकों को मिलने वाली आय समाप्त हो गई ।जो लोग मंदिर के  खेतों में मुफ्त सेवा करके मंदिर की आय बढ़ते थे वो क्या करते ?  देव स्थानों में अनुष्ठान...

दुनियाँ की महामारी

 सनातन धर्म शिक्षा और महामारी परिहार  ये वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना महामारी ने पूरी दुनियाँ को ग्रसित किया है परंतु दुनियाँ में सनातन धर्म के शिक्षक और शिक्षा , प्रयोग ,उपयोग न होने से भयानक परिणाम आ रहे । सनातन धर्म में जो जीवन प्रयोग हजारों वर्ष पूर्व दिये गए वो आज भी प्रासंगिक हें । जैसे  1)  हाथ जोड़ कर  नमस्ते  2)  अलग -अलग समय में मंदिरों में जप और साधना  3)  अग्नि दाह संस्कार  4)  स्वयं पाकी तपस्वी , जूठन  ,स्पर्श  का परहेज  5)  भोजन पाचक का विशेष प्रावधान , हर कहीं खाने से परहेज                                                                                  धन्यवाद                                        ...

प्रश्नोत्तर-1a

 प्रश्न : तपस्वी  कितने प्रकार के होते हें ? उत्तर : 3 प्रकार के  1) सात्विक   :  अहिंसक , जीवनपर्यंत  मनुष्यों ,जीव जंतुओं का भला करने  वाले , सभी नशे  और विषय विकार से दूर रहने वाले , निंदा -स्तुति से निर्लेप , काम-क्रोध -लोभ-मोह-अहंकार से विमुक्त होते हें । उदाहरण त्रेता में  ऋषि वशिष्ठ  और कलयुग में  संत श्री आशाराम जी बापू जो सभी नशे , भिक्षा वृत्ती के विरूद्ध रहे । जो प्रशासन ,शासन षड्यंत्रकारी उनको मिटाना चाहते हें उनका भी बुरा नहीं करते /चाहते । वह सनातन के 4 वेद ,6 शास्त्र ,18 पुराण ,भारत के ऋषि मुनियों की कथाओं का गुणगान करते और अपने शिष्यों से करवाते हें । वह सभी कष्टों का खुद सामना कर रहे हें । ईश्वर उनकी वाणी को तुरंत सिद्ध करते हें ।  2) राजसी  :       यह उच्च श्रेणी के आश्रमधारी , हठ योगी ,राज सत्ता के हिमायती , सुख समृद्धि के चाहने वाले , जाती ,धर्म और दौलत, पद,परिवार  के आधार पर शिष्य बनाने वाले । सत्ता से उनकी वृत्ति के अनुसार हिमायत या टकराव ।ये  शस्त्र ,शास्त्र,तप ,भ्रमण ,द...

शस्त्र लाइसेंस

हिमाचल प्रदेश एक सीमावर्ती प्रदेश है जिसकी सीमा चीन के साथ लगती है। हिमाचल प्रदेश की सीमा जम्मू कश्मीर के साथ  लगती है।  जम्मूकश्मीर  वह  क्षेत्र है जहाँ कुछ आबादी पाकिस्तानी आतंकवादियों को पनाह देती रही है  इन आतंकवादियों ने आधुनिक हथियारों से कश्मीरी पंडितों ,सुरक्षा बलों का संहार किया।  इस समय चीन और पाकिस्तान  जम्मू कश्मीर , लद्दाख क्षेत्र  में आतंकवादियों की घुसपैठ करवाता रहता है।  जिससे हिमाचल की शांत आबादी खतरे में रहती है।  अतः हिमाचल के ऊर्जावान ,शक्तिवान पूर्व सैनिक , एन ० सी ०सी   B,C ,certificate वाले  , पूर्व पुलिस , सुरक्षा बल  वाले इच्छित हिमाचल के मूल निवासियों को शस्त्र लाइसेंस प्रदान करें।  प्रत्येक दूर दराज के सभी घरों में हथियार रखना आवश्यक होना चाहिए। हमारे बुजुर्ग कहते थे कि युद्ध से  पहले भी  हिमाचल- पंजाब के   सभी घरों में  बन्दूक रखने  और सरकारी स्तर पर  चलाने  का प्रशिक्षण दिया जाए।  धन्यवाद।...

हमारे पूर्वज , वीर और जंगल , पशु - पक्षियों के मित्र

केवल ५० वर्ष पूर्व  गांव पनेवा ( जौणा जी ) सोलन  के श्री लक्ष्मीनंद शर्मा  (पिता श्री इंद्र दत्त शर्मा) ताया जी श्री गंगा दत्त शर्मा /गणेश दत्त शर्मा  श्याहाग जंगल के गुफा / बेशक में  जंगल मैदान में श्रावण और भादों महीनो में पत्नी सहित रात - दिन रहते थे। वह ४-५ भैंसें दिन में चराते थे और दूध/खोया  सहेजते थे।  उनके बच्चे  जंगल आकर दूध, घी , खोया अदि ले जाते थे और गुड़ ,चाय पत्ती , आटा ,चावल, अदि छोड़ जाते।  उस  जंगल में पड़ोसी और भाई-बंडार की भैंसें भी चरा देते थे। बेटा - बहु -बच्चे गांव में  रहते थे।  इसी समय गावं कलोग -मही ( कंडाघाट ) के मनसा राम शर्मा /हरी राम शर्मा ( पिता श्री ओम प्रकाश शर्मा पिता श्री हरीश शर्मा ) भी करोल के जंगल में बेशक बना कर आषाढ़ से आसोज तक ४ महीने   शाम , दोपहर , रात्रि को ५-७ भैंसों को चराने के लिए  रहते थे , सुबह दूध लेकर गांव आते थे।  दोनों गांव के बुजुर्गों  द्वारा  जंगल में पेड़ों और जंगली जानवरों से प्यार करना ,आवाजें देना इनकी आदत रही है।  प...

सिंगल प्रयुक्त पॉलिथीन

नमस्कार  सरकार द्वारा निर्देश दिया गया है ,सिंगल प्रयुक्त पॉलिथीन  का प्रयोग बंद करना  है ,परन्तु प्लास्टिक ,कुछ पॉलिथीन प्रयोग होता रहेगा। इसके लिए आपसे अनुरोध है कि सभी राज्य सरकारों / प्रशासन को आदेश दिया जाये कि प्रयोग करने के उपरांत बेकार पॉलिथीन ,प्लास्टिक नए प्लास्टिक/पॉलिथीन  से आधे दाम  पर  पंचायत ,नगर ,शहर स्तर पर ख़रीदा जाये और उसका पुनः प्रयोग निर्माण उद्योग अवश्य करे।  इससे संसाधन का सस्ता उपयोग होगा और देश को स्वच्छ रखने में मदद के साथ रोगाणु से जनता निपट सकेगी।                                                                                               धन्यवाद                                    ...

देश को दी गई विदेशी शिक्षा का असर।

 भारतीय समाज को भारतीय शिक्षा से अनभिज्ञ रखा गया।  भारतीय शिक्षा में प्रयोग करने और प्रभाव देखने की प्रवृत्ति थी जो विदेशी शिक्षा से समाप्त हो गई।  उदाहरण के लिए जो स्त्री - पुरुष  दुष्ट /अपराधी / अधर्मी  होता है उसका  वर्तमान और  भविष्य बिगड़ जाता है  साथ ही  जो डरपोक  लोग ( जनता), दुष्ट /अपराधी / अधर्मी  का साथ देती है ,उनका वर्तमान और भविष्य बिगड़ जाता है।  आज के समय में हमारी भारतीय सत्यवादी रिवाजें जो वेद और पुराण के अनुसार थी का विनाश हुआ तो प्रकृति भूकंप ,ओलावृष्टि ,बिजली गिरना,पहाड़ों का दरकना , बदल का फटना , बाढ़ ,सूखा ,आग ,महामारी , बुद्धि भ्रष्ट अदि से जनसँख्या त्रस्त  है।  प्रभाव देखें  १) मुस्लिम कट्टर अफगानिस्तान और अन्य देशों में जहाँ  अल्पसंख्यकों -महिलाओं पर अत्याचार हुए तो उधर वर्षों हो गए  बन्दूक ,बम , बारूद से रोज सभी वर्गों के लोगों का संहार जारी है।  २) सोमालिया जैसे देश में लूट-पाट ही  एजेंडा है तो वहां प्रतिदिन का सभी वर्गों का जीन...

हिमाचल के रामलोक में तपस्वी श्री अमर देव

हिमाचल के रामलोक  में तपस्वी श्री अमर देव हिमाचल के कंडाघाट -कालीटिब्बा क्षेत्र में १०-१२ वर्ष की उम्र में रामभक्त अमरदेव जी का आगमन हुआ वह साधारण परिवारों में निवास करते और रामचरितमानस  पाठ करते ,उनकी तपस्या साधना प्रभाव से  लोगों ने उन्हें रूडा (कलहोग )कंडाघाट में कुटिया बना दी। उनके आशीर्वाद ,तपस्या का प्रकाश फैलने लगा और भक्तों की वृद्धि हुई ,लगभग २५-३० वर्ष की उम्र में दशहरा संघ पथसंचलन के मुख्य वक्ता बने।  उनकी कुटिया में मुख्य मंत्री  व् अन्य  मंत्रियों का भी आगमन होता रहा। उनके साधक  शिष्यों ने भगवान्  राम , नव ग्रहों , माँ दुर्गा , माँ भीमा काली और अन्य देवताओं का भव्य मंदिर निर्माण किया है। भव्य स्वर्ण मूर्तियां स्थापित की है। श्री अमरदेव दिव्य अनुभव के स्वामी है और वह संत श्री आशारामजी बापू के बारे में वह स्पष्ट कहते  है कि वह महान संत है और राजकीय तंत्र की ऑंखें फटी है ,जो प्रताड़ना कर रहे हैं। राम भक्त श्री अमरदेव जी उग्र स्पष्ट वक्ता हैं  इसलिए कई छुट भैया नेता उनके विरोधी रहे ,छापे डलवाए , हमला किया ,महिला केस भी किया...

गरीब रहो ,चुपके जमीन बेचो , नशा करो , परिवार का शोषण करो अभियान।

                                                             हिमाचल प्रदेश में सरकार ने हिमाचली किसानो की शामलात भूमि  भूमिहीनों को  और हिमाचली किसानो  की भूमि में जोत करने वाले  बटाइ मजदूर ( मुजारों ) को  जमीन दिलवाई , उन्हें मालिक बनाया। अनेक साधन  संपन्न नशेड़ी किसान / परिवार को छोड़ दूसरे  स्थान में बसे  भूस्वामियों ने  और गरीबों ने अपनी हिमाचली भूमि को चुपके चुपके बेचने का अभियान चलाया हुआ है।  इससे प्रभावित परिवार गरीब हो रहे है।  ओना-पोना पैसा पारिवारिक लड़ाई, मुकदद्मे , और शोषण को जन्म  दे रहा है।  अतः सरकार से अनुरोध है कि सरकार द्वारा भूमिहीन और मुजारों को एलाट भूमि को कभी बेचीं न जा सके।  उनके घरों पर BPL की तरह सरकारी भूमि एलाट   बोर्ड लगे। इसके इलावा जो भी हिमाचली पैतृक भूमि बेचना चाहे उसे पत्नी /पति बच्चों से अनापत्ति...