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Gyan swaroop Bhagwad Geeta 4/39

श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:। ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥ इस श्लोक का अर्थ है: श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधनपारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति (भगवत्प्राप्तिरूप परम शान्ति) को प्राप्त होते हैं। यदि ज्ञान प्राप्त करने की,रहस्य ज्ञात करने की इच्छा तत्पर हो तो श्रद्धा और इन्द्रयों के  सयम  के साथ साधना की जाए तो ही ज्ञान प्राप्त होगा और परम् शांति का अनुभव होगा। सांसारिक ,आध्यात्मिक  शिक्षा के साथ प्रयोगात्मक अनुभव होने पर ज्ञान की प्राप्ति होती है। प्रत्येक परिस्थिति में ज्ञान सदैव प्रकाशमान रहता है।  इस युग में मनुष्य स्वयं को ज्ञानवान समझते है, संकल्प और विकल्प के भंवर जाल में फंस कर प्रयोगात्मक अनुभव के बगैर  अज्ञानी बन कर जीवन गुजार  देते हैं। उदाहरण के लिए भारत में जो मीडिया , सोशल मीडिया ,षड्यंत्रकारी,साम्प्रदायिक ,धार्मिक उन्मादी,विदेशी धर्म परिवर्तनकारी  जो झूठा प्रचार करते हैं उससे लोग प्रभावि...

vah Smd Bhagwad Geeta 2/47

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ इस श्लोक का अर्थ है: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं... इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो। (यह श्रीमद्भवद्गीता के सर्वाधिक महत्वपूर्ण श्लोकों में से एक है, जो कर्मयोग दर्शन का मूल आधार है।) यदि कर्म करने में  आसक्ति होगी तो  हमारे संकल्प और विकल्प ज्यादा से ज्यादा होते रहते हैं उससे किए गए कर्म का परिणाम अनुरूप नहीं आता ,यदि कर्म को कर्तव्य समझ कर किया जाए और आसक्ति न हो तो संशय की गुंजायश नहीं रहती। संतुष्टि रहती है। मन प्रसन्न रहता है। 

Learn Bhagwad Geeta 2/62

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥ इस श्लोक का अर्थ है: विषयों (वस्तुओं) के बारे में सोचते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है। इससे उनमें कामना यानी इच्छा पैदा होती है और कामनाओं में विघ्न आने से क्रोध की उत्पत्ति होती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने विषयासक्ति के दुष्परिणाम के बारे में बताया है।) सनातन धर्म के उपरांत जो धर्म पैदा हुए उनमे जनता को वासना, स्वर्ग, सुख ,भोग ,अधिकार ,सत्ता ,सम्राज्य विस्तार,बल (शक्ति मद) अदि विषयों में आसक्ति के बारे में लालच फैलाया गया।  लोगों को नई प्रकार की विषय सुविधा में रूचि हुई और पुराने सम्प्रदाय को त्यागना जारी रहा। दुनिया में लगभग सभी शताब्दी में नए सम्प्रदाय का जन्म हुआ। पुराने सम्प्रदाय में परिवर्तन जारी है । समय अनुसार कामनाओं की पूर्ति में अनेक प्रकार के विघ्न आने से क्रोध उत्पन्न होता है इसी से आतंकवाद ,नव कट्टरवाद ,नई जातियों,नए सम्प्रदाय का जन्म होता है। काम क्रोध लोभ मोह अहंकार अदि विषयों में जितना मनुष्य चिंतन करता  है उतना ही वह उसमें सम्मिलित होकर दुष्प...

know Bhagwad Geeta4/7,4/8

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥ इस श्लोक का अर्थ है: हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म ग्लानि यानी उसका लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयम् की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं।  श्लोक का अर्थ है: सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए... और धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं। हमारे देश के लोगों को इतना ईश्वरीय  विश्वास कभी दिलाया ही नहीं गया। उन्हें तो  शिक्षा व प्रशासन प्रणाली ने जिसकी लाठी उसकी भैंस सिखाया। सत्य तथा कर्म फल व अध्यात्म को अन्धविश्वास का नाम दिया गया। झूठ, लूटमार ,अवैध कब्जे ,उच्च-नीच ,आमिर-गरीब ,व अधर्म का राज्य चलाया गया।  दुष्टों को दण्ड मिलता ही मिलता है। इसे कभी प्रचारित नहीं किया। मनुष्य ,पशु,पक्षी ,जलचर,नभचर ,चराचर जीव  सबका यौनियो के अनुसार धर्म है। मनुष्य ऐसा...

Know Bhagwad Geeta 3/21

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥ इस श्लोक का अर्थ है: श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य (आम इंसान) भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह (श्रेष्ठ पुरुष) जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं। यदि इस श्लोक का मर्म जाना जाये तो भगवान राम एक तपस्वी  वन गमन करते हुए साधु संतों का सत्संग सुनते रहे।  आज कल के नेता  जेड सुरक्षा में रहते हुए भी हर वक्त डर  से  कांपते रहते है। संतों को जेल और  नामदारों को बेल मिलती रहती है।  श्री राम राजा होने के बाद भी धोबी के आरोप पर अपनी पत्नी को ऋषि आश्रम छोड़ गए। उन्होंने लोक  तंत्र,जासूसी,तपस्या का प्रमाण दिया। आरोपियों और सामान्य प्रजा को सदा सदा के लिए मौन कर दिया।  षड्यंत्रकारियों  को अपराधबोध का शिकार बना दिया। साथ ही माँ सीता के सतीत्व का प्रसार व लव कुश का लालन पालन करके हनुमान ,लक्ष्मण अदि योद्धाओं से विजय प्राप्त करवाने  वाली वीरबाला बना दिय...

Learn Bhagwad Geeta 2/37

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्,  जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्। तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥ इस श्लोक का अर्थ है: यदि तुम (अर्जुन) युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और यदि विजयी होते हो तो धरती का सुख को भोगोगे... इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने वर्तमान कर्म के परिणाम की चर्चा की है, तात्पर्य यह कि वर्तमान कर्म से श्रेयस्कर और कुछ नहीं है।) यदि इस श्लोक का पालन हो जाये तो सत्कर्म करने आसान है। डरने की कोई जरूरत नहीं है ,देश के सभी नागरिक बराबर है।  कर्म ही व्यक्ति को क्षमता वान बनाते है। अन्याय के विरुद्ध निर्णायक युद्ध करने की हिम्मत आती है । यदि इस श्लोक का पालन होता तो देश में समान नागरिक सहिता बन गई होती। मंदिर,मस्जिद के लिए अलग अलग कानून न बनते।  नेता लोग  व  कुछ कर्मचारी ,अधिकारी ,आज भी पेंशन ले रहे है। वह स्वार्थ वश  नई पेंशन स्कीम का विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाते। उनको तो नई शिक्षा प्रणाली ने अटकना ,लटकाना और भटकना सिखाया ...

If know /Study Bhagwad Geeta 2/23

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥ ( द्वितीय अध्याय , श्लोक 23) इस श्लोक का अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र   काट सकते हैं , न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है , न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।) यदि व्यक्ति इस श्लोक का अर्थ समझ ले तो उच्च/नीच का भेद समाप्त हो जाए। उसका सारा भय समाप्त होगा। जो अच्छा कार्य है उसे वह निर्भय होकर ईश्वर परायण होकर कर  सकते है .पापियों,दुष्टों  का सहार करने का साहस आएगा।यदि ऐसा साहस पहले से होता तो ब्रिटिश ,मुग़ल राज देश में अत्याचार  ना होता। हजारों जातियों में देश न बंटता। एक दूसरे के खिलाफ रीती रिवाज न बनते। आज कलभी  देश में डरपोक /निर्दयी/आतंकवादी /भ्र्ष्टाचारी का बोल बाला है क्योंकि सामान्य  लोग सोचते है कि हमे क्या लेना लड़ने व न्याय करने का काम तो सेना व   प्रशासन का है। हमने तो अपने घर में मजे से रहना है। अधिकारी ,व्यापारी ,किसान,कर्मचारी ,नेता ,मजदूर सभी को अपने आने...

Hans chugega dana dunka koa moti khayega,Esa kalyug ayega.

एसा गाना राम चंद्र जी कह गए सिया से एसा कलयुग आयेगा  हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा।  वही चरितार्थ होता है भारत मे १)      कम पढ़ेलिखे उच्च पद पर आसीन है और यूनिवर्सिटी के टोपर या बेरोजगार है या निम्न पद पर नियुक्त है। अनेक साधारण सनातक  डिग्री  धारी हिमाचल मे  अध्यापक है परन्तु  पीएचडी धारक शिक्षक न बन सका वह गैरशिक्षक पद पर ही  रहा। जिला सोलन हिमाचल का केस है। कैसी है सरकारी नियुक्ति  ? २) देश में अनुदान सब्सिडी गरीबी रेखा  ,व,  आरक्षण का बोलबला है  परन्तु जो लाभ ले रहे है वह  अपनी  आय को कहाँ   व्यय  कर रहे है जिससे उनकी व परिवार की गरीबी दूर नहीं होती। उनकी  शिक्षा  भी जरूरी है।  जब मिले यूँ तो करें क्यों ? ३)  शरीफ साधरण लोग बैंक से लोन लेकर मजबूर होते हुए भी  क़िस्त ब्याज सहित लौटाते  रहते  है लेकिन चतुर लोग, बड़ी संपत्ति वाले लोग लोन वापिस करने मे  डिफॉल्टेर होते रहते है। उन्ही चतुर लोगों का सरकार भी लोन मा...

My Brahmgyani Guruji

My Brahm Gyani Guruji is one who always say something to improve the karm & ideas as per Vedas & Purans for all human beings He clarified that if someone wants to be honoured , great and brilliant  then use these virtues 1)  Enthusiasm 2) Ability to be calm. 3) Work sincerely and diligently 4) Humility 5) Equanimity in all situations in pleasure & pain. 6) Courage 7) Tolerance 

Caste-ism and slavery

Muslims and British evaders changed the mind set of Indian people after demolishing the gurukuls and libraries. They made the laws according to their benefits . Now in Indian black  English men are ruling the masses. Untouchability ,  Low-suvarn etc is the product of this mind set only.They changed the education system/history  and by force they converted accordingly. One Example  According to Hindu holy books Brahmin are to work as educator/religious/  teacher.Researcher to make nation wealthy & secured. Kshatriya to make law & order, administration  and leadership. Vaishyas are to produce milk, farming,business, banking, Industries,  etc Shudras are to serve as employee to make law & order ,Artisan,Engineers,Artists etc It was the duty of leadership to update the castes of persons within Hindu  as per their work and at least let them to be Hindu. But Muslims and British evaders make the law that Hindu can change relig...

Educationists to do ground experiments.

In  India nearly 800 Govt,Govt Aided ,Deemed,Private universities with 38000 Colleges and 11500 Stand-alone Institutions but are they doing insufficient ground experiments to remove the problems of Indian masses. Example Every where the color of metaled road is black,while it is very simple that black color absorbs all other colors and create problem to drive vehicle frequently. It is the duty of research scholars who are studying and doing experiments after investing the money of parents/or with the help of limited scholarship by govt. Most of the administrators,highly paid employees,leaders are running their life in AC rooms with Govt.facilities with friends & families and not having sufficient time to innovate accordingly.   

Reasons of Extremism,illegal ism .

जब देश  मे वकीलों या मीडिया को देख कर जज फैसला या स्टे देने लगे और जाती,धर्म ,लिंग  सम्प्रदाय के आधार पर  जज  फैसला दे तो दुष्ट मनुष्यों को जनता उत्पीड़न का सरकारी लाइसेंस  मिल जाता है। जनता  न्याय  के लिए महगें  वकील खोजे और अपने पक्ष  को मजबूत समझें  तो सही  न्याय की उम्मीद कैसे हो सकती है।  वकालत पढ़ने के लिए उम्र बाधा बने और वकील ताउम्र केस लड़े। वाह क्या खूब कानून। बी ए  पत्राचार से कर सकते पर एल एल बी  पत्राचार से नहीं कर सकते।  जबकी कानून का ज्यादा से ज्यादा लोगों को पता होना चाहिए।  यही भेद दर भेद अत्याचारी उग्रवादी चरमपंथी लोगों का  सहायक होता हैं बाकी को उम्र भर डेट पर डेट ,पुलिस  विभागों पर निर्भर रहना पड़ता है। 

Acceptance of truth

Acceptance of truth automatically and very easily gives rise to good feelings.Every action has a thought ,resolve at its root. If our feelings are saturated with the delight of truth then actions done with those good feelings shall be good work. This century is the period of media & marketing while  majority of people are innocent and not knowing the truth.Every one should try to know the fact.

For better eyesight

My loving Guruji says " All people should see the moon for few minutes daily  from Dussehra i.e 8th October 2019 to sharad Purnima i.e 13th October 2019 ." My guruji always think the development & progress of all human being without discriminating sex,caste,religion etc. This is true experiment .  

Grah (SUN) blessings with family

Grah---SUN  in life. Useful  for---Mind health,energy,dignity,decision making,Impression, strong feelings, Applied education, How to get it from family blessing of --- Father , Brothers of Father, Grand Father, etc.

Possibility with will power

Never be weak in mind.if worry,illness,or hatred entered our mind take the support of best teaching  of  Guru ( Parents, educators,Adhyatmic gurus ) It is nothing but thoughts that made us lowly and downtrodden.We should eradicate these thoughts and wake up in the light of our own selves. It is so when the impossible becomes possible with will power.

Karm & Sanskar

अपने कर्तव्य को समाज हित  के लिए निष्काम  होकर  तत्पर प्रयोग करना  ही  कर्म योग  है। वह कर्म जिससे जीव जगत का उत्थान हो ,शांति हो अच्छा कर्म है। कर्म ही योनिओं का निर्धारण करता है।